Sunday, June 22, 2008

Geet1

दोहे ( होली पर)
क्षेत्रपाल शर्मा,
बिखरे फूल पलाश के, मौसम है ऋतु-रंग 1
पैरों में थिरकन बढ़ी, जब झूम उठेगी चंग 11

रूप और रस गंध से भरने लगे अनाज,
क्या सरसों, क्या सोमरस, सबने पहने ताज 11

पुलकित है नयनावली, आई होली याद 1
समय-सवाई-सा ठना, अब न सुने फरियाद 11

फाग गा रहे, झुंड में ढ़ाकों के ये पात 1
शिशिर हुई ओझल प्रिये,शरदोत्सव उत्पात 11

बंधन से बिंधते रहे शब्द वचन और मर्म 1
गई मोक्ष के द्वार तक, पगडंडी-सत्कर्म 11

भाल भरे गौ-लाल से, रंग पर बरसे रंग 1
रस में बतरस भर रहे भौंरन के सत्संग 11

11 03 2008
पताः- डी 7, ई.एस.आई क्वार्टर्स
साल्ट लेक, कोलकाता-700064

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