Tuesday, June 24, 2008

Geet4

गीत क्षेत्रपाल शर्मा

जब भी बही हवा पुरवाई 1

कोई चोट उभर ही आई 11 ऐसा नहीं हुआ है जल से, बादल बूंद-बूंद को तरसे तपती धरती की पीड़ा को

बादल सह जाए बिन बरसे

जल बरसा लो पानी, पानी जब भी चिड़िया धूल ं नहाई 11 तुम पीड़ा ही लेकर आती दर्द नहीं मीठे पाए 1 हर पुकार पर कंठ सूखता नद-ऐसा प्‍यासा लौटाए 11 मन की तृषा नहीं बूझ पाई, जब नयनों में याद नहाई 11 गीत बेसुरा हो जाएगा तुम रोना मत सिखलाओ भले रूठ ही जाना मुझ से

पर अब थोड़ा मुसकाओ प्‍यार भरी किलकारी फूटे, पीड़ा की जब हो अगुआई 11

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