Wednesday, October 24, 2012

ए बेवड़ा ...


(  मद्य - निषेध पर एक ग्रामीण गीत )


ए  बेवड़ा ...
                       क्षेत्रपाल शर्मा

बहक मत जाना, महक में सितारे
कि द्वारे खड़ी ये मुनिया बुलाए
ये छोना बुलाए ये छुटकी बुलाए
कि अंगना की रुन- झुन में पायल बुलाए .

ये बारी उमर है , है दुनिया सयानी
सुनेंगे, हंसेंगे ,कहेंगे कहानी
न कजरा बहे न ही तुम सताना
कि सीधे घर आना ये मुनिया बुलाए .
द्वारे खड़ी .....

सखियां सजी हैं गली एक मेला
मुसीबत है मेरी नहीं एक धेला
न करजा करो ये बोझन का बोझा
न मुंह अब लगाना , सखी न लजाए -
कि सीधे घर आना ये मुनिया बुलाए
 द्वारे ....

कि हंस बोलकर ही ये दुख कट जाए
तुम कुछ बनो ,कुछ छोना बनाए
कि दिन भर खटूं काम में मैं अकेली
हाथ तुम भी लगाना , ये मुनियां ...
द्वारे .......


हुआ है जो अबतक उसे भूल जाओ
संवरने का हिम्मत से बीड़ा उठाओ
जीना उसी का जो जीना कहाए
उजाले पे नाहक न कालिख लगाए
जरा सी बची है न इसको दुबाना
घर सीधे ही आना ये मुनिया बुलाए द्वारे....

नई दिल्ली
29.09.09
( बेवड़ा  मराठी शब्द है जो पियक्कड़ के लिए प्रयुक्त होता है )



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