Friday, June 27, 2008

Geet 7

मै तो अपने दिल की कोई बात न कह पाया,
तुम पूछो तो देखो शायद बदल जाय मौसम.

विगत दिनो से आसमान का था मिजाज फीका
, अनहोनी हो गयी जायका बदल गया जी का,
बस फुहार से तर होने की हसरत थी बाकी ,
ऒले जेसे पाये मैने झोली के शबनम, तुम पूछो तो देखो...

कई बार जीवन मै एसे अवसर आये है,
एक ओर है पुस्पकुन्ज तो उधर शिलाये है.
मै चुपचाप सहमकर अपनी राह चला आया ,
नाम रूप पर पाने जाने कितने सन्सकरन .तुम पूछो तो देखो......

शैल शिखर से टकराना भी देखो तो आसान नही
, अब तक तो सब कुछ था लेकिन अब देखो पहचान नही.
दर्दे दिल बादल का सच मै दरिया हो जाना
, बस बह जाना गली गली वन उपवन जड जन्गम
तुम पूछो तो देखो शायद बदल जाय मौसम..........
-क्षेत्रपाल शर्मा

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