Friday, August 9, 2013

गीत

   गीत

                                                        क्षेत्रपाल शर्मा
रात  रानी को कभी झरते न देखा आपने ॥

सुरभि को गोदी लिए गुमशुम खडी थी शाम से
वह सजीली नयन-धन्वा थी मेरे ही आसपास
क्यों कहे कुछ आप गाफ़िल हो गए तो हो गए

ताल को यूं सूखते - भरते न देखा आपने ॥

दिवस का हर प्रहर सोया रहा है शाख पर ,
दोष मौसम का नहीं
बेल जलकुंभी सी हर ओर अब छतरा गई है ,

जी -जी उठे जजबात तिल -तिल मरते न देखा आपने  ॥

जो सुमन थे बिखरा दिए चंदेर में ,अंधेर में
सूरते हाल में मकसद मेरा जीना यहां
क्या भला औ क्या बुरा ये आपका है मामला

रात रानी को कभी झरते न देखा आपने ॥



0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home