गीत
क्षेत्रपाल शर्मा
रात रानी को कभी झरते न देखा आपने ॥
सुरभि को गोदी लिए
गुमशुम खडी थी शाम से
वह सजीली नयन-धन्वा
थी मेरे ही आसपास
क्यों कहे कुछ आप
गाफ़िल हो गए तो हो गए
ताल को यूं सूखते
- भरते न देखा आपने ॥
दिवस का हर प्रहर
सोया रहा है शाख पर ,
दोष मौसम का नहीं
बेल जलकुंभी सी हर
ओर अब छतरा गई है ,
जी -जी उठे जजबात
तिल -तिल मरते न देखा आपने ॥
जो सुमन थे बिखरा
दिए चंदेर में ,अंधेर में
सूरते हाल में मकसद
मेरा जीना यहां
क्या भला औ क्या बुरा
ये आपका है मामला
रात रानी को कभी झरते
न देखा आपने ॥
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home