Friday, July 4, 2014

दोहे





                             दोहे

                                  क्षेत्रपाल शर्मा
                                             शान्तिपुरम , सासनी गेट अलीगढ      202001



स्विस कहते ही आ गई उन दामों की याद  l,
मुंह में पानी आ गया , जस शक्कर सा स्वाद.ll

वह  अंगद  का पांव  है हिला सके  न कोय,l
अपने  से हिल जाय  तो,  बात दूसरी होय ll.

बडे बडे वे लोग हैं   हाथी जैसा नाम l
भारी भरकम  भोज लें, पर न शेर  सा काम ll

फ़ूट  यहां पर फ़लत  है खिलें सैंद से साट l,
भाई को  भाई करे , भाई ! बारहबाट ll

रट्टा  में बट्टा नहीं,  यू पी  के स्कूल l
दीमक  डिगरी चाटती,  भैया फ़ांकें  धूल ll

सब न मिले है सब जगह, कहीं किसी का ज़ोर l
वहां खरे  ही लोग सब , यहां  मिलावट  खोर ll

इन्तज़ार कर थक गए, लिए शिकायत नैन l
हाकिम  तो  सुनता नहीं , कहने  को बेचैन ll

वादी प्रतिवादी कुटुम ,चिरजीवी  परिवाद l
घर में चूल्हे बहुत हैं ,टूट गया संवाद ll



                          

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