दोहे
क्षेत्रपाल शर्मा
शान्तिपुरम
, सासनी गेट अलीगढ 202001
स्विस कहते ही आ गई उन दामों की
याद l,
मुंह में पानी आ गया , जस शक्कर सा स्वाद.ll
वह अंगद का
पांव है हिला सके न कोय,l
अपने से हिल जाय
तो, बात दूसरी होय ll.
बडे बडे वे लोग हैं हाथी जैसा नाम l
भारी भरकम भोज लें, पर न शेर सा काम ll
फ़ूट यहां पर फ़लत
है खिलें सैंद से साट l,
भाई को भाई करे , भाई ! बारहबाट ll
रट्टा में बट्टा नहीं, यू पी के
स्कूल l
दीमक डिगरी चाटती, भैया फ़ांकें
धूल ll
सब न मिले है सब जगह, कहीं किसी का ज़ोर l
वहां खरे ही लोग सब , यहां
मिलावट खोर ll
इन्तज़ार कर थक गए, लिए शिकायत
नैन l
हाकिम तो
सुनता नहीं , कहने को बेचैन ll
वादी प्रतिवादी कुटुम ,चिरजीवी परिवाद l
घर में चूल्हे बहुत हैं ,टूट गया संवाद ll
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