Thursday, July 10, 2008

nagama

तेरे संग की तमन्‍ना है
मैं तो एक बांस हूं, पर तेरे संग की तमन्‍ना है,
तुम मुझे बांसुरी बनाओ, तो कोई बात बने 11

दूध, जो फट गया, मक्‍खन तो बन नहीं सकता, फेंकने के बदले, छेने की मिठाई हो तो कोई बात बने 11

मैंने चेहरे पर उजियारी-हंसी देखी है, सुन, रोते-रोते, जो हंसों और हंसाओ, तो कोई बात बने 11
लोग जो हैं वे लड़ाने के हजार बात कहते हैं, तुम मुझे सुनो और सुनाओ तो कोई बात बने 11
गैर से, हर छोटी-बड़ी बात की, शिकायत न करो, रूठ कर, मान भी जाओ तो कोई बात बने 11
बात क्‍या है ? बढ़ाओ तो बढ़ी चली जाती है, ये बात, बे-बात समझ जाओ तो कोई बात बने 11
खतावार तो सच कहता हूं, मैं भी नहीं, तुम भी नहीं, अन किये की सज़ा मुआफ़ करो तो कोई बात बने 11



क्षेत्रपाल शर्मा
- डी 7, ई.एस.आई आवासन
ए.एफ ब्‍लाक, साल्‍ट लेक, कोलकाता-700 064